Netaji Subhas Chandra Bose | From Hitler's Germany To Japan | Full Biography

Netaji Subhas Chandra Bose, From Hitler's Germany To Japan, Matsuda,

 Netaji Subhas Chandra Bose | From Hitler's Germany To Japan | Full Biography - नमस्कार दोस्तों ९ फरवरी १९४३, Germany के शहर से एक German Submarine रवाना होती है।  वैसे तो सभी Nazi soldiers बैठे है लेकिन इन सबके पीछे मौजूद है एक Indian इनका नाम है Matsuda. इस Submarine को mission किया गया है Southward की तरफ Travelling करना Africa के बगल से होते हुए जाना पर Mr. Matsuda से ट्रांसफर करना एक Japanese Submarine को. ऐ काम सुनने में आसान लगता है पर खतरों से बिलकुल खली नहीं है. 

Netaji Subhas Chandra Bose

Netaji Subhas Chandra Bose - समुद्र भरा हुआ है ब्रिटिश जहाज़ों से और ये समय है वर्ल्ड वॉर २ का जब Germany & Japan दोनों लड रहे है British के खिलाफ २६, एप्रिल १९४३ करीब ढाई महीने सफर के बाद जब ये जर्मन सबमरीन Madagascar Coast के पास पहोचती है तो सामने Japanese Submarine नजर आती है. लेकिन समुंद्र इतना तूफानी था के दोनों Submarines एक दूसरे के आसपास आना बहुत खातरनाक हो सकता है. तो ये २ दिन तक दोनों सबमरीन चलती रहती है. 

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Finally जाकर मौसम साफ़ होता है तो Mr. Matsuda सबमरीन से बहार निकलते है. Paddling करते हुए भीगते हुए वह Japanese submarine के पास पहोचते है जहा पर Captain Masao Teraoka. ने वेलकम कहा. एक सवाल आपके मन में उठेगा के ये German & Japanese Submarines World War II के समय पर एक Indian की क्यों मदद कर रही है. ऐसा इसीलिए दोस्तों के Mr. Matsuda और कोई नहीं बल्कि हमारे Netaji Subhash Chandra Bose है. जाने अनजाने में इससे इतिहासिक जर्मन के दौरान ये पहले Indian एक सबमरीन में सफर करने वाले. Netaji Subhash Chandra Bose तो India के सबसे महान फ्रीडम फाइटर में थे एक थे. और इनकी पूरी कहानी ऐसे ही कमाल किस्सों से भरी हुए है. 

From Hitler's Germany To Japan

From Hitler's Germany To Japan - कैसे ये British हुकूमत को चख्मा देकर India छोड़ कर भागे जर्मनी गए Hitler से मिलने Russia गए Japan गए Japanese Prime Minister से मिले Singapore गए अपनी एक Army बनाई और India के बहार रह कर British हुकूमत के खिलाफ सबसे बढ़ी जंग छिडी. We Want To Expel British Power From India, We Have To Fight The Enemy With Its Own Weapon. आइए समझते है के इनकी पूरी दस्ता आजके एक टॉपिक में. 

The Forward Bloc. Party 

अपनी कहानी की शरुआत करते है सितम्बर १९३९ से वह साल World War II शरुआत हुए. Viceroy Lord Linlithgow ने इंडिया के Behalf वॉर Declared करदी बिना किसी Indian कंसल्ट किये Congress के लिए बड़ी एम्बासमेंट वाली बात थी और Government Of India Act, तहेत Congress के पास कुछ ministries का control था तो कांग्रेस ने उन सभी Positions से Resign कर दी. इस समय के बिच Subhash Chandra Bose अपनी खुदकी पार्टी Organizing कर रहे थे. The Forward Bloc. हालाकि ये Party कॉंग्रेस के पीछे निकली थी पर १९४० आते इसको Congress के मुख्य संगठन से अलग कर दिया गया  था. 

Subhash Chandra Bose - Hunger Strike 

१. इसके पीछे २ कारण थे पहला ये के Subhash Chandra Bose कुछ ज्यादा ही leftist ideology बन रहे थे. जो Congress के बाकी Leaders को पसंद नहीं आ रहा था. दूसरा कारण था के Bose चाहते थे के 2nd वर्ल्ड वॉर का इस्तेमाल किया जाये India के Benefit के लिए वह जल्दी एक्शन लेना चाहते थे. और Congress से  अलग होना उनके लिए Necessity बन गई थी. जुलाई १९४०, Calcutta में Bose मार्च लिड कर रहे थे जिसके चलते उन्हें British Government हुकूमत द्वारा Arrested कर लिया जाता है. जेल में रहकर वह सरकार की ताकत को चैलेन्स करते है एक Hunger Strike लॉन्च करके "Release Me OR I shall Refuse To Live" उनकी तरफ से सीधी एनाउन्समेन्ट करी जाती है. देखते देखते उनकी तबियत ख़राब होने लगती है. और एक ही हप्ते में उन्हें जेल माँ निकल कर हॉउस अरेस्ट कर दिया जाये। वह ब्लेम नहीं चाहते थे के वह जेल में मारे गए. इसीलिए उन्होंने सोचा के जबतक तबियत ख़राब है तबतक उन्हें हॉउस अरेस्ट पर रखते है. जैसे ही हेल्थ ठीक होंगी तोह वापिस जेल में डाल देंगे. लेकिन Netaji अपने अलग ही प्लेन पर चल रहे थे.

२. इनका प्लान था Germany जाना और Germans से मदद मांगना British के खिलाफ लड़ाई करने के लिए. लेकिन Germany जाये तो कैसे जाये Bose पंजाब में मौजूद एक Communist Organization को कोन्टेक करते है जाने के लिए क्या कोई तरीका है. बॉर्डर पार करके छुपके से जाने का. उन्हें बताया जाता है की एक तरीका जरूर है. अफ़ग़ानिस्तान के थरुव enter किया जाये वहा से Soviet Union, जाये तो वहा से जर्मनी जाया सकता है. १६ जनवरी १९४१ रातके करीब १:३० am जब पूरा शहर सो रहा होता है. जो Netaji छुपके से अपने घरसे बहार निकलते है. अपने भतीजे Shishir Kumar के साथ. उन्होंने एक Disguise पहनी हुए थी. वह Pretending कर रहे थे के वह एक Insurance Agent है. जिनका नाम है Muhammad Ziauddin.  Shishir Kumar के साथ अँधेरे में एक रात भर Drive करते रहते है. और सुबह करीब ८:३० am. Dhanbad पहोचते है. यहां एक रात Shishir के भाई Ashok  के घर में बिताते है. और अगले दिन नजदीक के Gomo Station, से Netaji Kalka Mail की ट्रैन पकड़ लेते है. ये रेल गाडी पहले Delhi पहोचती है और वहा से ये गाडी बदलते है Peshawar की और अगली ट्रैन पकड़ते है The Frontier Mail Train नाम की ट्रैन  Peshawar पहुचकर उन्हें उन्हें रिसीव किया जाता है Forward Bloc, लीडर Mian Akbar Shah. 

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३. अगला पड़ाव था British Raj से पूरी तरीके से बहार निकलना ऐसा करने के लिए Netaji अपना रूप फिरसे बदल लेते है Mohammad Ziauddin से एक Pathan बन जाते है यहां गूंगा और बहरा होना जरूरी था क्यों के Bose को Pashto भाषा बोलनी नहीं आती थी. बॉर्डर पर कोई चेक करने आये तो उनके साथ चलने वाला Pashto बताते के ये बगल वाला पठान तो गूंगा और बहरा है. एक और Forward Bloc, के लीडर Bhagat Ram Talwar, ट्रेवल करते है और दोनों pretended करते है के ये दोनों Afghanistan में Adda Sharif पर जा रहे है. प्राथना करने के लिए और बोलना और सुन्ना आ जाये। २६ जनवरी १९४१, गाड़ी के जरिये Peshawar City से निकलते है. और शाम तक British Empire बॉर्डर क्रॉस हो चूका था. २९ जनवरी सुबह तक Adda Sharif पहोच जाते है और Trucks & Tanks की मदद से Kabul तक का सफर करते है. 

४. Calcutta से Kabul जाने में Netaji को १५ दिन का समय लेकिन ब्रिटिश सरकार को इस स्किम के बारे में इनके भागने का लेकर सिर्फ १२ दिन बाद ही पता चला. ऐसा इसीलिए के घर पर मौजूद लोग थे वह Constantly कमरे में खाने के लिए आते थे. और इनके बाकी भतीजे का खाना खा जाते थे लोगो को लगता के शुभाष जी अभी भी कमरे में ही है. खाना तो खाया जा रहा है उनके लिए खाना delivered करवाया जा रहा है. ये बात को इतना सीक्रेट रखा के उनकी ममी को भी पता नहीं था के बहार गए है. २७ जनवरी १९४१ को सुभाष जी के खिलाफ एक केस सुना जाना था कोर्ट में. और वह जब कोर्ट में पेश नहीं हुए तो तोह उनके २ भतीजे कन्फर्म किया के वह तो घर पर है ही नहीं. २७ जनवरी को उनकी गायब होने की खबर अख़बार में पब्लिश होती है Anand Bazaar Patrika और Hindustan Herald  इसके बाद Reuters उठा लेता है और दुनिया भरमे ये खबर फेल जाती है. ब्रिटिश इंटेलीजन्स कई रिपोर्ट आती है. के एक रिपोर्ट बताती है के किसी जापान जाने वाले जहाज में है और दूसरी और दूसरा बताती है लेकिन  रिपोर्ट सच नहीं होती है. 

५. कलकत्ता से जापान जाने वाली जहाज की भी तलाशी ली जाती है ब्रिटिश के द्वारा लेकिन Bose का नामो निशान नहीं था. सुभाष जी ने अपने भतीजे को बताया था के ४ से ५ दिन तक खबर दबी रहती है के वह भाग  निकले उसके बाद तो उसको पकड़ना ना मुमकिन है. और ये बात सच थी के उसके बाद कभीभ ब्रिटिश सरकार उन्हें वापस पकड़ नहीं पाई. काबुल पहोचने के बाद Soviet Embassy में जाते है मदद मांगने के लिए लेकिन यहां से कोई मदद मिलती नहीं है. क्यों के Russian को लग रहा था की वह एक ब्रिटिश एजेंट है जो Soviet Union में Infiltrate करना चाह रहे है. फिर वह कोसिस करते है German Embassy से कोन्टेक करने के लिए Hans Pilger एक जर्मन मिनिस्टर जो Embassy में मौजूद थे जर्मन फॉरेन मिनिस्टर को टेलीग्राम भेजते है. ५ फरवरी को यह कहते हुए के सुभाष मिलने के बाद मेने एक एडवाइस दिया है के वह मार्किट में छुपा हुआ रहे अपने इंडियन दोस्तों के साथ. में उसके behalf पर रसियन embassy को कोन्टेक करता हु उस दिन उसे पता चलता है के Afghanistan से आगे निकलना है तोह एक Italian Ambassador से मिलना चाहिए २२ फरवरी १९४१ को मीटिंग होती है १० मार्च Bose को कहा जाता है के नया Italian Passport बनवा लो दिया जाता है. एक नई Italian ID के साथ निचे दी गई फोटो लगी थी Italian passport में 

और उनका नाम Orlando Mozzotta इस बिच ब्रिटिश सरकार ने इटालियन डिप्लोमेटिक कम्युनिकेशन को Intercepted किया था और उन्हें ये पता लग गया था के Bose काबुल में है उन्हें ये भी ये भी पता लग गया था के वह जर्मनी जाने के लिए Middle east द्वारा ब्रिटिश इंटेलिजेन्स के दो स्पेशल ऑपरेशन के executives को काम दिया जाता है Turkey में बोस को ढूंढो और उन्हें जर्मनी पहोचने से पहले ही मार डालो। लेकिन नेताजी एक कदम आगे थे उन्होंने Middle East थरु जाने वाला रास्ता कभी लिया ही नहीं उल्टा वह Moscow पहोच गए अपने नई ID के साथ Moscow पहोचने के बाद वह ट्रैन से बर्लिन की और. और २ एप्रिल १९४१ को पहोच जाते यही जर्मन के राजधानी बर्लिन। यहां ३ मकसद थे नेताजी के पहला एक इंडियन सरकार एक्सिट सेटअप करना और दूसरा अपना आवाज लोगो को पहोचना. और तीसरा एक आर्मी की स्थापना करना जो बनी हो इंडियन से Prisoners Of War रहे. अब एक एक करके देखते है के कैसे नेताजी ने कैसे इन चीजों पर काम किया और कैसे उनकी मुलाकात हुए. जर्मनी के तानाशाह Hitler से. सबसे बढ़ा संघर्ष के जर्मनी एक Diplomatic Recognition देगी India को वह चाहते है के Germay और बाकी Axis Powers ऑफिसियली declare करने के इंडिया एक आज़ाद देश है..  


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